जब पापा ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
उन्हीं ने आत्मविश्वास सिखाया
गिरते से भी हमे उठना सिखाया |
हाथो मे बैग लेकर स्कूल भेजा
वहीं घर आकर पापा की गोदी मे बैठ जाना याद आता है
और प्यार से उनका, गले से मुझे लगाना मुझे याद है
कभी माँ की डॉट से पापा के पीछे छिप जाना, मुझे याद है
होली दिवाली पर अपने कपड़े भूल कर हमको नए कपडे दिलाना,मुझे याद है
और खिलोनों की फरमाइश पर अपनी सेविंग से पैसे जुटाना |
जहाँ माँ ने संस्कारो मे रहना सिखाया,
वहीं पापा ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया मुझे याद है
और मेरी नटखट बातो पर पापा का खिलखिलाकर हंस जाना मुझे याद है
अगर बेटी माँ का साया होती है,
तो वहीं बेटी पापा की भी परछाई होती है सारी फ़र्माइशों पुरा करते पापा मुझे याद है
आज भी याद है बचपन के वो पल…..
#मिली✍
#स्वरा
#स्वरांजली
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