★★★
....................
खुल कर आसमान में मैं उड़ सकूँ
ये अधिकार ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
खुल कर अपने विचार मैं जता सकूँ
ये हक़ होना ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
अपना जीवन अपनी शर्तों पे मैं जी सकूँ
ये आज़ादी ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
न वे मेरी न मैं उनकी बातों में खलल करूँ
ये कृतव्य और कर्म ही मेरे लिये स्वतंत्रता है...
रोके न कोई मुझे मुस्कुराने से
ये मुस्कान ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
मेरे शब्द मेरी लेखनी ही मेरी आज़ादी है
मैं और मेरी कलम यही मेरे लिए स्वतंत्रता है
......
#स्वरा
★★★
©
कवयित्री:-मस्तानी जी✍
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खुल कर आसमान में मैं उड़ सकूँये अधिकार ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
खुल कर अपने विचार मैं जता सकूँ
ये हक़ होना ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
अपना जीवन अपनी शर्तों पे मैं जी सकूँ
ये आज़ादी ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
न वे मेरी न मैं उनकी बातों में खलल करूँ
ये कृतव्य और कर्म ही मेरे लिये स्वतंत्रता है...
रोके न कोई मुझे मुस्कुराने से
ये मुस्कान ही मेरे लिए स्वतंत्रता है...
मेरे शब्द मेरी लेखनी ही मेरी आज़ादी है
मैं और मेरी कलम यही मेरे लिए स्वतंत्रता है
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#स्वरा
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कवयित्री:-मस्तानी जी✍
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