स्वरांजली....शब्दों की गूँज

शब्द शस्त्र को परास्त करें, शब्द बिना अस्त्र ही वार करें शब्द दुश्मन को यार करें, आओ मिल कर हम इन शब्दों की गूँज इस बार करें #स्वरा #SKG

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Sunday, August 12, 2018

रागिनी जी द्वारा सप्तरंग-५ में रचना


शीर्षक:- कोशिश में ......कशिश है !!
★★★

उसकी कशिश मुझे गाँव से शहर ले आयी
आया था वो एक बार पड़ोस के घर में
भीड़ में दिखाई दिया अलग सा मासूम चेहरा 
दिल में घर कर गया उसी वक़्त से।।

चला गया लौट कर बिन बात किये
हम घायल हो गये उसे दिल में लिये
पूछा बड़ी मुश्किल से पता ठिकाना
कर दिया ऐलान शहर में पढ़ने का।।

लिया एडमिशन कॉलेज में ,शहर पहुँच गए
हॉस्टल में डेरा जमा ,पता ढूंढने लग गए
पता चला वो सीनियर था इसी कॉलेज में हमसे
उससे मिलने के अब बहाने ढूँढने लग गए।।

खाली वक़्त में उससे करीबी के मंसूबे बनाने लगे
कोशिश में कशिश है सोच उससे मिलने पहुंच गए
वो भी मिलकर हमसे बड़ा खुश हुआ,बोला लगता है तुमको देखा है कहीं।।

बताया जब हमने , तब दोस्त बन गये
दिल की बात दिल में रख, कोशिश में लग गये
आने लगा वो करीब हमारी कोशिश रंग लाई
कोशिश में कशिश है ये उसके भी समझ आई।।

#स्वरा
★★★
©
कवयित्री:-रागिनी जी✍

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