★★★
....................
#कौन_है_जिसमें_कमीे_नहीं
कोई जन्म से परिपक्व नहीं होता
पूरी ज़िन्दगी जी ले पर थोडी कमी
जरुर रह ही जाती हैं
अग्नि अपना काम नहीं करती
उसको जलाना पडता हैं
पानी खुद नही बनता
वाष्पीकरण से बादल बनते
और पानी बरसता है
पहाड़ खुद नहीं ढलते
प्राकृतिक आपदाएं आती
तब पहाड़ ढलने लगते हैं
जंगलों मे आग लग जाती
समंदर मे सुनामी जैसी
आपदा इसका कारण बनती है
फूल खुद नहीं खिलते
पहले बीज बोकर पानी और
खाद रख रखाव के बाद खिलते
हर सजीव निर्जीव काम
किसी ने किसी वजह से होता हैं
कौन_हैे_जिसमें_कमी_नहीं हैं ......
#स्वरा
★★★
©
कवयित्री:-मालती उपाध्याय जी✍
★★★
....................
#कौन_है_जिसमें_कमीे_नहीं
कोई जन्म से परिपक्व नहीं होता
पूरी ज़िन्दगी जी ले पर थोडी कमी
जरुर रह ही जाती हैं
अग्नि अपना काम नहीं करती
उसको जलाना पडता हैं
पानी खुद नही बनता
वाष्पीकरण से बादल बनते
और पानी बरसता है
पहाड़ खुद नहीं ढलते
प्राकृतिक आपदाएं आती
तब पहाड़ ढलने लगते हैं
जंगलों मे आग लग जाती
समंदर मे सुनामी जैसी
आपदा इसका कारण बनती है
फूल खुद नहीं खिलते
पहले बीज बोकर पानी और
खाद रख रखाव के बाद खिलते
हर सजीव निर्जीव काम
किसी ने किसी वजह से होता हैं
कौन_हैे_जिसमें_कमी_नहीं हैं ......
#कौन_है_जिसमें_कमीे_नहीं
कोई जन्म से परिपक्व नहीं होता
पूरी ज़िन्दगी जी ले पर थोडी कमी
जरुर रह ही जाती हैं
अग्नि अपना काम नहीं करती
उसको जलाना पडता हैं
पानी खुद नही बनता
वाष्पीकरण से बादल बनते
और पानी बरसता है
पहाड़ खुद नहीं ढलते
प्राकृतिक आपदाएं आती
तब पहाड़ ढलने लगते हैं
जंगलों मे आग लग जाती
समंदर मे सुनामी जैसी
आपदा इसका कारण बनती है
फूल खुद नहीं खिलते
पहले बीज बोकर पानी और
खाद रख रखाव के बाद खिलते
हर सजीव निर्जीव काम
किसी ने किसी वजह से होता हैं
कौन_हैे_जिसमें_कमी_नहीं हैं ......
#स्वरा
★★★
©
कवयित्री:-मालती उपाध्याय जी✍
No comments:
Post a Comment