★★★
....................
कोई भी नही पूर्ण यहां
कुछ न कुछ सब में कमी है
मानता पर कौन यहां
सबकी अपनी चाहतें है
पूरी सब होती है क्या
बस उम्मीदों पर टिकी है
सबकी अपनी जिंदगी
चाहतों में सिमट गई है
अपनी अपनी जिंदगी
बस उम्मीदों के सहारे
चल रही यहां जिंदगी
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार:-अजय केसरी जी✍
★★★
....................
कोई भी नही पूर्ण यहांकुछ न कुछ सब में कमी है
मानता पर कौन यहां
सबकी अपनी चाहतें है
पूरी सब होती है क्या
बस उम्मीदों पर टिकी है
सबकी अपनी जिंदगी
चाहतों में सिमट गई है
अपनी अपनी जिंदगी
बस उम्मीदों के सहारे
चल रही यहां जिंदगी
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार:-अजय केसरी जी✍
No comments:
Post a Comment