★★★
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चाहत हमारी है मोहब्बत से ज्यादा
दूर होकर भी करीब हैं
नज़दीकियों से ज्यादा !
तेरे मेरे हिस्से में खुशियाँ हज़ार हैं
उन खुशियों की सौगात हमारा प्यार है !
समय के साथ चले हैं हम दोनों
हमारा साथ रहेगा हमेशा !
ना मिलकर भी एक हुए हैं
यही है #समय_की_परिभाषा !
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- प्रतीक गौर जी✍
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दूर होकर भी करीब हैं
नज़दीकियों से ज्यादा !
तेरे मेरे हिस्से में खुशियाँ हज़ार हैं
उन खुशियों की सौगात हमारा प्यार है !
समय के साथ चले हैं हम दोनों
हमारा साथ रहेगा हमेशा !
ना मिलकर भी एक हुए हैं
यही है #समय_की_परिभाषा !
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#स्वरा
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©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- प्रतीक गौर जी✍
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