★★★
....................
न बूझ पाया कोई आज तक ,
कल, आज और कल की पहेली .!
#समय_की_परिभाषा तक ,
बनी हुई है इसलिए अबूझ पहेली .!
सीख कर कल से जीयें आज ,
तो ही संवरता है फिर आने वाला कल .!
जान कर ये सच मानव फिर भी,
सुलझा नहीं पाया #समय_की_परिभाषा .!
कुछ कुछ प्रकृति सी रंग बदले ,
कभी-कभी निराकृति सी लहरें लगती हैं..!
समझे का सोचें किसकी तरह ,
#समय_की_परिभाषा है हर पल बदलती .!
ले कर जन्म जीवन जीता है ,
इतिहास के पन्ने बन मौत के अनुभव तक.!
#समय_की_परिभाषा समझने ,
अवतार ले ईश्वर समझ न पाया अब तक .!
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- मोहनलाल भाया जी✍
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कल, आज और कल की पहेली .!
#समय_की_परिभाषा तक ,
बनी हुई है इसलिए अबूझ पहेली .!
सीख कर कल से जीयें आज ,
तो ही संवरता है फिर आने वाला कल .!
जान कर ये सच मानव फिर भी,
सुलझा नहीं पाया #समय_की_परिभाषा .!
कुछ कुछ प्रकृति सी रंग बदले ,
कभी-कभी निराकृति सी लहरें लगती हैं..!
समझे का सोचें किसकी तरह ,
#समय_की_परिभाषा है हर पल बदलती .!
ले कर जन्म जीवन जीता है ,
इतिहास के पन्ने बन मौत के अनुभव तक.!
#समय_की_परिभाषा समझने ,
अवतार ले ईश्वर समझ न पाया अब तक .!
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#स्वरा
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©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- मोहनलाल भाया जी✍
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