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मेरे लिए स्वतंत्रता है
गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर हम आजाद हुए थे
सोचा था आज़ाद देश में हम खुशहाली के गीत गाएंगे,
परन्तु समाज की कुरीतियों ने मुझसे मेरी स्वतंत्रता छीन ली,
मेरे लिए स्वतंत्रता है
जब ये देश भ्र्ष्टाचार मुक्त हो जाएगा,
जब इस देश का हर नागरिक साधो मार्ग अपनाएगा,
जब हर बहन हर बेटी सीना तान के चल सकेगी,
जब इस देश में फिर कोई रावण ना आ पाएगा,
जब हर बच्चा स्कूल जाएगा,
जब हर किसान समृद्धि के गीत गाएगा,
जब कोई नेता बिना बेईमानी के
अपनी सरकार चलाएगा,
जब सड़क पर हर व्यक्ति अपनी लाइन में गाड़ी चलाएगा
जब इंडिया मंगल पर अपनी बस्ती बसाएगा,
जब धर्म के नाम पर ना कोई खून बहाएगा,
जब सब अमीर होंगें,
और ना कोई टैक्स भरने में अनाकानी दिखाएगा,
जिस दिन ऐसा कोई आएगा ,
मुझे मेरी स्वतंत्रता का एहसास हो जाएगा
......
#स्वरा
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©
कवि:-योगेश शर्मा जी✍
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गुलामी की जंजीरों को तोड़ कर हम आजाद हुए थे
सोचा था आज़ाद देश में हम खुशहाली के गीत गाएंगे,
परन्तु समाज की कुरीतियों ने मुझसे मेरी स्वतंत्रता छीन ली,
मेरे लिए स्वतंत्रता है
जब ये देश भ्र्ष्टाचार मुक्त हो जाएगा,
जब इस देश का हर नागरिक साधो मार्ग अपनाएगा,
जब हर बहन हर बेटी सीना तान के चल सकेगी,
जब इस देश में फिर कोई रावण ना आ पाएगा,
जब हर बच्चा स्कूल जाएगा,
जब हर किसान समृद्धि के गीत गाएगा,
जब कोई नेता बिना बेईमानी के
अपनी सरकार चलाएगा,
जब सड़क पर हर व्यक्ति अपनी लाइन में गाड़ी चलाएगा
जब इंडिया मंगल पर अपनी बस्ती बसाएगा,
जब धर्म के नाम पर ना कोई खून बहाएगा,
जब सब अमीर होंगें,
और ना कोई टैक्स भरने में अनाकानी दिखाएगा,
जिस दिन ऐसा कोई आएगा ,
मुझे मेरी स्वतंत्रता का एहसास हो जाएगा
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#स्वरा
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कवि:-योगेश शर्मा जी✍
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