★★★
....................
कौन है जिसमें कमी नहीं है
समन्दर के पास मीठा पानी नहीं है
हवाओं में अब वो महक नहीं है
पेड़ कटने से वो हवा नहीं है
जहां में अब मोहब्बत नहीं है......
कौन है जिसमें कमी नहीं है
रहने को अब वो ज़मीं नहीं है
स्वर्ग ज़मीं पर बसता था जहाँ
अब वहाँ प्यार की नमी नहीं है
किसी घर में अब सुकून नहीं है
कौन है जिसमें कमी नहीं है
कोशिश करने से ज़मीं पर स्वर्ग दूर नहीं
है.....
.....
#स्वरा
★★★
©
कवयित्री:-रागिनी जी✍
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कौन है जिसमें कमी नहीं है
समन्दर के पास मीठा पानी नहीं है
हवाओं में अब वो महक नहीं है
पेड़ कटने से वो हवा नहीं है
जहां में अब मोहब्बत नहीं है......
कौन है जिसमें कमी नहीं है
रहने को अब वो ज़मीं नहीं है
स्वर्ग ज़मीं पर बसता था जहाँ
अब वहाँ प्यार की नमी नहीं है
किसी घर में अब सुकून नहीं है
कौन है जिसमें कमी नहीं है
कोशिश करने से ज़मीं पर स्वर्ग दूर नहीं
है.....
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कौन है जिसमें कमी नहीं है
समन्दर के पास मीठा पानी नहीं है
हवाओं में अब वो महक नहीं है
पेड़ कटने से वो हवा नहीं है
जहां में अब मोहब्बत नहीं है......
कौन है जिसमें कमी नहीं है
रहने को अब वो ज़मीं नहीं है
स्वर्ग ज़मीं पर बसता था जहाँ
अब वहाँ प्यार की नमी नहीं है
किसी घर में अब सुकून नहीं है
कौन है जिसमें कमी नहीं है
कोशिश करने से ज़मीं पर स्वर्ग दूर नहीं
है.....
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कवयित्री:-रागिनी जी✍
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