स्वरांजली....शब्दों की गूँज

शब्द शस्त्र को परास्त करें, शब्द बिना अस्त्र ही वार करें शब्द दुश्मन को यार करें, आओ मिल कर हम इन शब्दों की गूँज इस बार करें #स्वरा #SKG

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Monday, October 22, 2018

मुस्कान जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
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समय जब अपना खेल खेलता है तो वो किसी की नही सुनता।
 समय निरंतर बस चलता ही रहता है हमें समय के साथ चलते रहना चाहिए, 
अन्यथा हम समय से पृथक हो सकते हैं 
समय किसी का इंतज़ार नही करता उसका प्राथमिक कार्य है
 गति के साथ प्रवाह करना हमें कभी भी समय को नजरअंदाज नही करना चाहिए
 क्योंकि ये हर किसी का अपना अपना होता है
 और ये समय स्वयं में ही अपना होता है 
कब किस और जीवन के चौपड़ पासे पलट जाएं कोई नही जानता। 
समय की परिभाषा इतनी है जो आज है वही समय है जो आने वाला कल होगा 
वो भी किसी दिन आज बनेगा और जो बीता हुआ कल था 
वो भी किसी दिन आज हुआ करता था। 
समय रोज़ की दिनचर्या है समय आप स्वयं हैं। 
समय हर वस्तु, व्यक्ति, स्थान में निवास करता है।
 वो समय है, जो निरंतर चलता रहता है,
 वो समय है, जो कभी किसी के लिए नही रुकता।

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#स्वरा
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©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- मुस्कान जी✍

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