स्वरांजली....शब्दों की गूँज

शब्द शस्त्र को परास्त करें, शब्द बिना अस्त्र ही वार करें शब्द दुश्मन को यार करें, आओ मिल कर हम इन शब्दों की गूँज इस बार करें #स्वरा #SKG

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Monday, October 22, 2018

10:52 AM

अर्पिता जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
★★★
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अनिश्चितताओं से भरा जीवन 
कभी आशा, कभी निराशा..

कभी संघर्षों के पहाड़
कभी आराम जरा सा..

कभी लगे ये बेगानों की तरह
कभी लगे अपना सा..

बदल के भी नही बदलता
यही है #समय_की_परिभाषा
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:-  अर्पिता जी✍

10:48 AM

कृष्णात्रे जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
★★★
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समय की परिभाषा है सब के लिए  ज़ुदा ज़ुदा ! 
मजदूर सोचे जल्दी 8 / 9 घंटे का समय  बीते ,
पैसे मिले और बच्चों के लिए अनाज ले जाऊं ।
गृहणी सोचे ये समय भी कितनी जल्दी बीत गया ,
अब बचे काम कैसे निपटाऊं!
छात्र सोचे कुछ और समय मिले तो कुछ और पढ़ लूं ।
ऑफिस वाले सोचे कि  जल्दी
8 घण्टे बीतो जल्दी घर जा कर  आराम करूँ।
प्रेमी प्रेमिका सोचे ,ये समय कभी बीते ही न ,
एक दूजे में खो जाऊं ।
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#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- कृष्णात्रे जी✍

10:43 AM

शिवांशी जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
★★★
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समय को परिभाषित करना आसां नही

समय ही वो गुरु है 
जो सारे सबक सिखाता है 

समय की धारा बड़ी प्रबल है 

जो समय के साथ न चल पाया 
रह जाता वो पीछे है ।

जिसने की समय के साथ मन मानी 
फिर समय सबक सिखाता है 

समय सीमा में रह कर हमें 
इसका सदुपयोग करना है ।
......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- शिवांशी जी✍

10:40 AM

मुस्कान जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
★★★
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समय जब अपना खेल खेलता है तो वो किसी की नही सुनता।
 समय निरंतर बस चलता ही रहता है हमें समय के साथ चलते रहना चाहिए, 
अन्यथा हम समय से पृथक हो सकते हैं 
समय किसी का इंतज़ार नही करता उसका प्राथमिक कार्य है
 गति के साथ प्रवाह करना हमें कभी भी समय को नजरअंदाज नही करना चाहिए
 क्योंकि ये हर किसी का अपना अपना होता है
 और ये समय स्वयं में ही अपना होता है 
कब किस और जीवन के चौपड़ पासे पलट जाएं कोई नही जानता। 
समय की परिभाषा इतनी है जो आज है वही समय है जो आने वाला कल होगा 
वो भी किसी दिन आज बनेगा और जो बीता हुआ कल था 
वो भी किसी दिन आज हुआ करता था। 
समय रोज़ की दिनचर्या है समय आप स्वयं हैं। 
समय हर वस्तु, व्यक्ति, स्थान में निवास करता है।
 वो समय है, जो निरंतर चलता रहता है,
 वो समय है, जो कभी किसी के लिए नही रुकता।

......
#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- मुस्कान जी✍

10:35 AM

अवधेश जी द्वारा सप्तरंग-9(समय की परिभाषा) में रचना✍


शीर्षक:-समय की परिभाषा... !!
★★★
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समय मौलिक राशि है
जब कोई चलता है
घर से निकलता है
मंजिल पहुंचता है
तब समय बीतता है
अवि इसके बीच की
प्रतीक्षानुभूति को समय कहता है

समय अभ्युदय है
समय वक्त है
समय है अवसर
समय काल उपयुक्त है

समय ठहराव है
समय सफलता है
समय कर्तव्य पालन
समय प्रतिज्ञा है
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#स्वरा
★★★
©
रचनाकार [{कवयित्री/कवि }]:- अवधेश जी✍